Gulzar Shayari In Hindi | Gulzar Shayari In Hindi On Life | गुलजार की शायरियां
Gulzar Shayari In Hindi:- Gulzar जी की शायरियां विश्व प्रसिध्द हैं ये आप सभी जानते होगें कि वह कितने बड़े शायर थे । और उनकी Shayari कि आज भी मिसाल दा जाती हैं। अगर अगर हम शायरी की बात करते हैं तो Gulzar जी का नाम सबसे पहले आता हैं । तो अगर आप शायरियों का शौक रखते हैं तो आपको Gulzar की शायरियों को जरूर पढ़ना चाहिेए ।
इसी लिए आज हम आपके लिए अपने Website के माध्यम से आप तक Gulzar की शायरियों को दे रहें हैं जिनको पढ़ने के बाद आप जरूर बहुत ही प्रेरित होने वाले हैं तो आप इस शायरियों को जरूर पढेे।
हम यहां पर आपको Gulzar जी की कई प्रकार की शायरिया देगें जैसे कि Gulzar shayari In Hindi 2 Lines और Gulzar Shayari In Hindi On Life और Gulzar Shayari In Hindi On Love आप इन Shayari को जरूर पढ़े।
कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं
अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं
सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है
मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके
उसी का ईमाँ बदल गया है कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
वो एक दिन एक अजनबी को मेरी कहानी सुना रहा था
वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था
Gulzar shayari In Hindi 2 Lines
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं
ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं
लोग कहते हैं मेरी आँखें मेरी माँ सी हैं
यूं तो लबरेज़ हैं पानी से मगर प्यासी हैं
कान में छेद है पैदायशी आया होगा
तूने मन्नत के लिये कान छिदाया होगासामने दाँतों का वक़्फा है तेरे भी होगा
एक चक्कर तेरे पाँव के तले भी होगा
जाने किस जल्दी में थी जन्म दिया, दौड़ गयी
क्या खुदा देख लिया था कि मुझे छोड़ गयी
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर
इस की आदत भी आदमी सी है
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था ख़त का रुख़ दिखा रहा था
कुछ और भी हो गया नुमायाँ मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था
बताऊँ कैसे वो बहता दरिया जब आ रहा था तो जा रहा था
धुआँ धुआँ हो गई थी आँखें चराग़ को जब बुझा रहा था
मुंडेर से झुक के चाँद कल भी पड़ोसियों को जगा रहा था
ख़ुदा की शायद रज़ा हो इसमें तुम्हारा जो फ़ैसला रहा थाआप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है.
रात को दे दो चाँदनी की रिदा
दिन की चादर अभी उतारी है.
शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले
कैसी चुप सी चमन में तारी है.
कल का हर वाक़िआ’ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
Gulzar Shayari In Hindi On Life
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है.
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे
कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं
तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं
शोर की तो उम्र होती हैं
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं
वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,
आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते
दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं है
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहो में बारहा रुक कर
हम ने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
हमे उम्मीद है की आपको हमारा hindi shayari collection की ये Gulzar Shayari In Hindi | Gulzar Shayari In Hindi On Life | गुलजार की शायरियां पसंद आई होगी. आप हमे facebook में भी follow कर सकते है.