इतना तो मैं समझ गयी थी उसको, वो जा रहा था और मैं हैरान भी ना थी
हम तो पहले से बिगडे हुऐ है, हमारा कोई क्या बिगाड लेगा..
एक खेल रत्न उसको भी दे दो ,बड़ा अच्छा खेलती है वो दिल से
मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारु, उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो.
इश्क कभी महरबानी नही चाहता है साहिब।
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